23 May, 2012

लपटें उठती उद्ध, जला पेट्रोल छिड़ककर -

मोहन माखन खा गए, मोहन पीते दुग्ध ।
आग लगा मोहन गए, लपटें उठती उद्ध ।

लपटें उठती उद्ध, जला पेट्रोल छिड़ककर ।
होती जनता क्रुद्ध, उखाड़ेगी क्या रविकर ।

सरकार कमीशन-खोर, चोर को हलुवा सोहन ।
दाढ़ी बैठ खुजाय, अर्थ का शास्त्री मोहन ।। 

4 comments:

  1. बहुत बढ़िया लपेटा है मोहन को !

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  2. कल दाढ़ी नुचवाय ,विषकन्या का मोहन .अच्छी प्रस्तुति है भाई साहब . .कृपया यहाँ भी पधारें -
    ram ram bhai
    23 मई 2012
    ये है बोम्बे मेरी जान (अंतिम भाग )
    http://veerubhai1947.blogspot.in/
    यहाँ भी देखें जरा -
    बेवफाई भी बनती है दिल के दौरों की वजह .
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/

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  3. माखन,दूध,मलाई,खाते सब मिल गुणीजन
    रहें सतर्क हैं आने वाले फिर मन मोहन!

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  4. गोपाल तो माखन खायेंगी ही और दूध भी पियेंगे!
    --
    बहुत बढ़िया!

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