26 May, 2012

स्नेह-समर्पण कर दिया-


प्रेम और विश्वास का, होय नहीं व्यापार ।
दंड-भेद से ना मिले, साम दाम वेकार ।।

स्नेह-समर्पण कर दिया, क्यों कुछ मांगे दास ?
निज-इच्छाएं कर दफ़न, मत करवा परिहास ।।

4 comments:

  1. प्रेम कहां कुछ मांगता है । मांगता है तो निस्वार्थ चाहत ।

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  2. Thode se shabdo me bahut kuch kah diya..
    Khubsurat..

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