अब तो इस हुंकार से तापवृद्धि औ होय,गरम चाय से मार दो,सत्तू धरो बिलोय !
सूखी धरती की प्यास को रूपायित करती पोस्ट .
वाह...सन्देश और निवेदन दोनों ही हैं इस कुण्डलिया में!
बहुत बढ़िया सर !सादर
धनबाद नहीं आज तो सभी तरफ ये आलम है गर्मी का ...फोटो मस्त हैं ..
कर रहे है सब इंतज़ार सावन की आएगी, ऋतू सबके मनभावन की
बहुत सुंदर एवं सार्थक रचना...
न होवे गर्मी तो कैसे पिओगे सत्तूबन जाओगे चाहोगे नहीं तो बजरबट्टू
सारा देश ‘धनबाद’ बना हुआ है अभी तो... एक समान गर्मी.... सुंदर रचना... सादर।
गर्मी पर सटीक रचना..वाहनीरज
बहुत बढ़िया
मित्रों चर्चा मंच के, देखो पन्ने खोल | पैदल ही आ जाइए, महंगा है पेट्रोल || -- बुधवारीय चर्चा मंच ।
शब्द-शब्द संवेदना भरा ....बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
गरमी की झुलस यहां तक पहुंच गई रविकर जी ।
अब तो इस हुंकार से तापवृद्धि औ होय,
ReplyDeleteगरम चाय से मार दो,सत्तू धरो बिलोय !
सूखी धरती की प्यास को रूपायित करती पोस्ट .
ReplyDeleteवाह...
ReplyDeleteसन्देश और निवेदन दोनों ही हैं इस कुण्डलिया में!
बहुत बढ़िया सर !
ReplyDeleteसादर
धनबाद नहीं आज तो सभी तरफ ये आलम है गर्मी का ...
ReplyDeleteफोटो मस्त हैं ..
कर रहे है सब इंतज़ार सावन की
ReplyDeleteआएगी, ऋतू सबके मनभावन की
बहुत सुंदर एवं सार्थक रचना...
ReplyDeleteन होवे गर्मी तो कैसे पिओगे सत्तू
ReplyDeleteबन जाओगे चाहोगे नहीं तो बजरबट्टू
सारा देश ‘धनबाद’ बना हुआ है अभी तो... एक समान गर्मी....
ReplyDeleteसुंदर रचना...
सादर।
गर्मी पर सटीक रचना..वाह
ReplyDeleteनीरज
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteमित्रों चर्चा मंच के, देखो पन्ने खोल |
ReplyDeleteपैदल ही आ जाइए, महंगा है पेट्रोल ||
--
बुधवारीय चर्चा मंच ।
शब्द-शब्द संवेदना भरा ....बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
ReplyDeleteगरमी की झुलस यहां तक पहुंच गई रविकर जी ।
ReplyDelete