श्वेत कनपटी तनिक सी, मुखड़ा गोल-मटोल ।
नई व्याहता दोस्त की, खिसकी अंकल बोल ।
चले चतुर चौकन्ने चौकस ।।
केश रँगा मूंछे मुड़ा, चौखाने की शर्ट |
अन्दर खींचे पेट को, अंकल करता फ्लर्ट |
मिली तवज्जो फिर तो पुरकस |।
चले चतुर चौकन्ने चौकस ।।
अन्दर खींचे पेट को, अंकल करता फ्लर्ट |
मिली तवज्जो फिर तो पुरकस |।
चले चतुर चौकन्ने चौकस ।।
धुर-किल्ली ढिल्ली हुई, खिल्ली रहे उड़ाय |
जरा लीक से हट चले, डगमगाय बलखाय |
रहा सालभर चालू सर्कस |।
चले चतुर चौकन्ने चौकस ।।
जरा लीक से हट चले, डगमगाय बलखाय |
रहा सालभर चालू सर्कस |।
चले चतुर चौकन्ने चौकस ।।
दाढ़ी मूंछ सफ़ेद सब, चश्मा लागा मोट ।
इक अम्मा बाबा कही, सांप कलेजे लोट ।
बैठ निहारूं खाली तरकस ।।
चले चतुर चौकन्ने चौकस ।।
बचना चाह हमने न करे यहाँ टिपण्णी.
ReplyDeleteभूले भटके घूम घूम यद् आ गयी हमको नानी.
लौट आये घर पर हम अपने
चले चतुर चौकन्ने चौकस
nice .thanks
TIME HAS COME ..GIVE YOUR BEST WISHES TO OUR HOCKEY TEAM -BEST OF LUCK ..JAY HO !
बहुत बढ़िया सर!
ReplyDeleteसादर
nice and good style :-)
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