29 July, 2012

अंकल करता फ्लर्ट-

श्वेत कनपटी तनिक सी, मुखड़ा गोल-मटोल ।
नई व्याहता दोस्त की, खिसकी अंकल बोल ।
चले चतुर चौकन्ने चौकस ।।


केश रँगा मूंछे मुड़ा, चौखाने की शर्ट |
अन्दर खींचे पेट को, अंकल करता फ्लर्ट |
मिली तवज्जो फिर तो पुरकस |।

चले चतुर चौकन्ने चौकस ।।


धुर-किल्ली ढिल्ली हुई, खिल्ली रहे उड़ाय |
जरा लीक से हट चले, डगमगाय बलखाय |
रहा सालभर चालू सर्कस |।

चले चतुर चौकन्ने चौकस ।।

दाढ़ी मूंछ सफ़ेद सब, चश्मा लागा मोट ।
इक अम्मा बाबा कही, सांप कलेजे लोट ।
बैठ निहारूं खाली तरकस ।।
चले चतुर चौकन्ने चौकस ।।


3 comments:

  1. बचना चाह हमने न करे यहाँ टिपण्णी.
    भूले भटके घूम घूम यद् आ गयी हमको नानी.
    लौट आये घर पर हम अपने
    चले चतुर चौकन्ने चौकस
    nice .thanks
    TIME HAS COME ..GIVE YOUR BEST WISHES TO OUR HOCKEY TEAM -BEST OF LUCK ..JAY HO !

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  2. बहुत बढ़िया सर!

    सादर

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