सार्ग-4
भाग-2
शांता का सन्देश
भाग-2
शांता का सन्देश
सृन्गेश्वर से आय के, हुई जरा चैतन्य |
छोड़ विषय को शांता, लगी सोचने अन्य ||
रिश्तों की पूंजी बड़ी , हर-पल संयम वर्त |
पूर्ण-वृत्त पेटक रहे , असली सुख संवर्त ||
सोम हुवे युवराज जब, उसको आया ख्याल ||
बिना पुत्र के है बुरा, अवध राज का हाल ||
गुरु वशिष्ठ को भेजती, अपना इक सन्देश |
तीव्रगति से पहुँचता, शांता दूत विशेष ||
रिस्य सृंग के शोध का, था उसमें उल्लेख |
गुरु वशिष्ठ हर्षित हुए, विषयवस्तु को देख ||
चितित दशरथ को बुला, बोले गुरू वशिष्ठ ||
हर्षित दशरथ कर रहे, कार्य सभी निर्दिष्ट ||
तैयारी पूरी हुई, रथ को रहे उड़ाय |
रिस्य सृंग के सामने, झोली दें फैलाय ||
हमको ऋषिवर दीजिये, अब अपना आशीष |
चरणों में हैं लोटते, धरके अपना शीश ||
राजन धीरज धारिये, काहे होत अधीर |
सृन्गेश्वर को पूजिये, वही हरेंगे पीर ||
मैं तो साधक मात्र हूँ, शंकर ही हैं सिद्ध |
दोनों हाथों से पकड़, बोले उठिए वृद्ध ||
सात दिनों तक आपकी, करूँगा पूरी जाँच |
सृन्गेश्वर के सामने, शिव पुराण नित बाँच ||
सात दिनों का तप प्रबल, औषधिमय खाद्यान |
दशरथ पाते पुष्टता, मिटे सभी व्यवधान ||
सूची इक लम्बी लिखी, सृंगी देते सौंप ||
बुड्ढी काया में दिखी, तरुणों जैसी चौप ||
कुछ प्रायोगिक कार्य हैं, कोसी की भी बाढ़ |
इंतजाम करके रखो, आऊं माह असाढ़||
ख़ुशी-ख़ुशी दशरथ गए, रौनक रही बताय |
देरी के कारण उधर, रानी सब उकताय ||
अवधपुरी के पूर्व में, आठ कोस पर एक |
बहुत बड़े भू-खंड पर, लागे लोग अनेक ||
सुन्दर मठ-मंदिर बना, पोखर बना विशेष |
हवन कुंड भी सज रहा, पहुंचा सारा देश ||
थी अषाढ़ की पूर्णिमा, पुत्र-काम का यग्य |
सुमिर गजानन को करें, रिस्य सृंग से विज्ञ ||
शांता भी आई वहां, रही व्यवस्था देख |
फुर्सत में थी बाँचती, सृंगी के अभिलेख ||
समझे न जब भाष्य को, बिषय तनिक गंभीर |
फुर्सत मिलते ही मिलें, सृंगी सरयू तीर ||
देखें जब अभ्यासरत, रिस्य रिसर्चर रोज |
नए-नए सिद्धांत को, प्रेषित करते खोज ||
समझे न जब भाष्य को, बिषय तनिक गंभीर |
फुर्सत मिलते ही मिलें, सृंगी सरयू तीर ||
देखें जब अभ्यासरत, रिस्य रिसर्चर रोज |
नए-नए सिद्धांत को, प्रेषित करते खोज ||
प्रेम प्रस्फुटित कब हुआ, जाने न रिस्य सृंग |
वहीँ किनारे भटकता, प्रेम-पुष्प पर भृंग ||
कई दिनों तक यग्य में, रहे व्यस्त सब लोग |
नए चन्द्र दर्शन हुए, आया फिर संयोग ||
पूर्णाहुति के बाद में, अग्नि देवता आय |
दशरथ के शुभ हाथ में, रहे खीर पकडाय ||
दशरथ ग्रहण कर रहे, कहें बहुत आभार |
आसमान में देवता, करते जय जयकार ||
कौशल्या करती ग्रहण, आधी पावन खीर |
कैकेयी भी ले रही, होकर बड़ी अधीर ||
दोनों रानी ने दिया, आधा आधा भाग |
रहा सुमित्रा से उन्हें, अमिय प्रेम अनुराग ||
चैत्र शुक्ल नवमी तिथी, प्रगट हुवे श्री राम |
रही दुपहरी खुब भली, तनिक शीत का घाम ||
गोत्र दोष को काटते, रिस्य सृंग के मन्त्र |
कौशल्या सुदृढ़ करे, अपना रक्षा तंत्र ||
कैकेयी के भरत भे, हुई मंथरा मग्न |
हुवे सुमित्रा के युगल,लखन और शत्रुघ्न ||
लंका में रावण उधर, जीत विश्व बरबंड |
मानव को जोड़े नहीं, बाढ़ा बहुत घमंड ||
देव यक्ष गन्धर्व को, जीता हुआ मदांध |
स्वर्ग जीत के टाँगता, यम को उल्टा बाँध ||
लंका में रावण उधर, जीत विश्व बरबंड |
मानव को जोड़े नहीं, बाढ़ा बहुत घमंड ||
देव यक्ष गन्धर्व को, जीता हुआ मदांध |
स्वर्ग जीत के टाँगता, यम को उल्टा बाँध ||
नर-वानर बूझे नहीं, माने कीट पतंग |
अनदेखी करने लगा, करे विश्व बदरंग ||
अंग अंग लेकर विकल, गई शांता अंग |
और इधर रिस्य सृंग की, शोध कर रही भंग ||
देव यक्ष गन्धर्व को, जीता हुआ मदांध |
ReplyDeleteस्वर्ग जीत के टाँगता, यम को उल्टा बाँध ||
नर-वानर बूझे नहीं, माने कीट पतंग |
अनदेखी करने लगा, करे विश्व बदरंग ||
sunder ati sunder
rachana
बहुत ख़ूब!
ReplyDeleteएक लम्बे अंतराल के बाद कृपया इसे भी देखें महाशय-
जमाने के नख़रे उठाया करो
ReplyDeleteसार्थक पोस्ट , आभार .
कृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर पधारने का कष्ट करें .
ReplyDeleteअंग अंग लेकर विकल, गई शांता अंग |
और इधर रिस्य सृंग की, शोध कर रही भंग ||बढ़िया कथात्मक काव्यात्मक प्रस्तुति ,कैसे हैं रविकर भाई ,लखनऊ से लौटने के बाद तबीयत तो ठीक है .
ram ram bhai
सोमवार, 3 सितम्बर 2012
Protecting Your Vision from Diabetes Damage मधुमेह पुरानी पड़ जाने पर बीनाई को बचाए रखिये
Protecting Your Vision from Diabetes Damage
मधुमेह पुरानी पड़ जाने पर बीनाई को बचाए रखिये
?आखिर क्या ख़तरा हो सकता है मधुमेह से बीनाई को
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ReplyDeleteसात दिनों तक आपकी, करूँगा पूरी जाँच |
Deleteसृन्गेश्वर के सामने, शिव पुराण नित बाँच ||
सात दिनों का तप प्रबल, औषधिमय खाद्यान |
दशरथ पाते पुष्टता, मिटे सभी व्यवधान ||
पौराणिक कृतियों पर बहुत सारे प्राचीन ग्रंथो का प्रत्यक्ष या परोक्ष प्रभाव रहता है , परन्तु आपकी रचनात्मकता सर्वथा नवीन तथ्यों पर प्रकाश डालती है ,नवीन वैज्ञानिक विचारो से ओतप्रोत पौराणिकता युक्त रचना के लिए बहुत बहुत साधुवाद श्रीमान ।