"भोजदेव" के "धार" से, मालव-महिमा धार |
"शबगा" में आकर जमे, "व्याघ्र-प्रस्थ" आगार ||
फौजी कालू राम जी, देश-भक्त परिवार |
यमुना तट पर कृष्ण सा, पाया स्नेह-दुलार||
देवी माँ सन्तोष के, हृदय का टुकड़ा एक |
ब्लाग-जगत हर्षित हुआ, पाया बन्दा नेक ||
रीना संग माला बनी, मणिका बड़ी पिरोय |
शुभकामनाएं
अक्कड़-बक्कड़ बम्बे-बो,
अस्सी नब्बे पूरे सौ ||
अक्षय और अनंत ऊर्जा का,
शाश्वत भण्डार सूर्य हो |
शाश्वत भण्डार सूर्य हो |
मत्स्य-भेदते द्रुपद-सुता के,
स्वप्नों के प्रिय-पार्थ-पूर्य हो ||
स्वप्नों के प्रिय-पार्थ-पूर्य हो ||
सुबह महाशिवरात्रि पर गंगा जल चढाने के लिए लम्बी लाइन
घुमक्कड़ी के संदीपक हो,
मित्रों ने पाया उजियारा |
परिक्रमा सारी दुनिया की,
दुर्गम-दुर्धुष सा व्रत धारा ||
घुमक्कड़ी के संदीपक हो,
मित्रों ने पाया उजियारा |
परिक्रमा सारी दुनिया की,
दुर्गम-दुर्धुष सा व्रत धारा ||
पञ्चम-स्वर की चार-श्रुति में,
तीजी श्रुति संदीपन से तुम |
तीजी श्रुति संदीपन से तुम |
तप्त-मरुस्थल पर गर्वीले,
अपने विजयी कदम बढाते ||
अपने विजयी कदम बढाते ||
प्रकृति सुंदरी के दर्शन हित,
निकल पड़ें जैसे फटती पौ |
निकल पड़ें जैसे फटती पौ |
अक्कड़ - बक्कड़ बम्बे-बो,
अस्सी नब्बे पूरे सौ ||
जाट - देवता से सदा, रहिएगा हुसियार |
लो "रविकर" पर जान, जान देने की बारी |
मित्रों पर कुरबान, रखे पक्की तैयारी ||
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ReplyDeleteउलट घट नहीं कुलीनस उलट काल नहीं कल ।
ReplyDeleteकुलि कुलि काल कुलीन कस कुलंभर कुल कज्जल
बिलेटेड हैप्पी हैप्पी बर्थ डे जी जाट देवता जी !
ReplyDeleteपर्वत के उत्तुंग-शिखर पर,
ReplyDeleteमानवता का ध्वज फहराते |
तप्त-मरुस्थल पर गर्वीले,
अपने विजयी कदम बढाते ||
मुझे सौभाग्य प्राप्त है इनसे एक मुख़्तसर सी भेंट का ,लक्ष्मी बाई नगर ,नै दिल्ली प्रवास के दौरान .आप मेरे साथ "सेंटर फार साईट" तक गए जहां मैं रूटीन जांच के लिए गया था अपोइन्टमेंट लेने के बाद .आप बेहद चौकन्ने इंसान हैं ,ताजगी से भरपूर .बोर्न-विटा के विज्ञापन के लिए उपयुक्त किरदार हैं आप .बधाई जन्म दिन की भाई संदीप को .
ram ram bhai
सोमवार, 3 सितम्बर 2012
स्त्री -पुरुष दोनों के लिए ही ज़रूरी है हाइपरटेंशन को जानना
स्त्री -पुरुष दोनों के लिए ही ज़रूरी है हाइपरटेंशन को जानना
What both women and men need to know about hypertension
सेंटर्स फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के एक अनुमान के अनुसार छ :करोड़ अस्सी लाख अमरीकी उच्च रक्त चाप या हाइपरटेंशन की गिरिफ्त में हैं और २० फीसद को इसका इल्म भी नहीं है .
क्योंकि इलाज़ न मिलने पर (शिनाख्त या रोग निदान ही नहीं हुआ है तब इलाज़ कहाँ से हो )हाइपरटेंशन अनेक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं खड़ी कर सकता है ,दिल और दिमाग के दौरे के खतरे के वजन को बढा सकता है .दबे पाँव आतीं हैं ये आफत बारास्ता हाइपरटेंशन इसीलिए इस मारक अवस्था (खुद में रोग नहीं है जो उस हाइपरटेंशन )को "सायलेंट किलर "कहा जाता है .
माहिरों के अनुसार बिना लक्षणों के प्रगटीकरण के आप इस मारक रोग के साथ सालों साल बने रह सकतें हैं .इसीलिए इसकी(रक्त चाप की ) नियमित जांच करवाते रहना चाहिए .
हमारी ओर से भी 37 वीं वर्षगाँठ की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteरविकर जी नमस्कार,
ReplyDeleteआपने शायद मेरा नया फ़ोटो नहीं देखा, मैंने फ़ेसबुक पर लगाया है। देखकर आप भी याद करोगे। कि जाट देवता ने क्या गजब ढहाया है?
https://www.facebook.com/JATDEVTASANDEEP
हैप्पी बर्थ डे जाट देवता
ReplyDeleteशुभकामनायें
हमारी ओर से भी 37 वीं वर्षगाँठ की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDelete37 वीं वर्षगाँठ की बहुत बहुत बधाई !!!!
ReplyDeleteहैप्पी बर्थ डे जी हैप्पी बर्थ डे जी हैप्पी बर्थ डे जी हैप्पी बर्थ डे जी
ReplyDelete
ReplyDeleteमंगलवार, 4 सितम्बर 2012
जीवन शैली रोग मधुमेह :बुनियादी बातें
जीवन शैली रोग मधुमेह :बुनियादी बातें
यह वही जीवन शैली रोग है जिससे दो करोड़ अठावन लाख अमरीकी ग्रस्त हैं और भारत जिसकी मान्यता प्राप्त राजधानी बना हुआ है और जिसमें आपके रक्तप्रवाह में ब्लड ग्लूकोस या ब्लड सुगर आम भाषा में कहें तो शक्कर बहुत बढ़ जाती है .इस रोगात्मक स्थिति में या तो आपका अग्नाशय पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन हारमोन ही नहीं बना पाता या उसका इस्तेमाल नहीं कर पाता है आपका शरीर .
पैन्क्रिअस या अग्नाशय उदर के पास स्थित एक शरीर अंग है यह एक ऐसा तत्व (हारमोन )उत्पन्न करता है जो रक्त में शर्करा को नियंत्रित करता है और खाए हुए आहार के पाचन में सहायक होता है .मधुमेह एक मेटाबोलिक विकार है अपचयन सम्बन्धी गडबडी है ,ऑटोइम्यून डिजीज है .
फिर दोहरा दें इंसुलिन एक हारमोन है जो शर्करा (शक्कर )और स्टार्च (आलू ,चावल ,डबल रोटी जैसे खाद्यों में पाया जाने वाला श्वेत पदार्थ )को ग्लूकोज़ में तबदील कर देता है .यही ग्लूकोज़ ईंधन हैं भोजन है हरेक कोशिका का जो संचरण के ज़रिये उस तक पहुंचता रहता है .