10 September, 2012

एक वर्ष में पी एम की संपत्ति दुगुनी

झंडा ऊंचा रहे हमारा ओ जिंदल जी ।
सबसे प्यारा देश हमारा ओ जिंदल जी ।

फहराने की छूट दिलाई आभारी हूँ -
प्रश्नों से लेकिन क्यूँ हारा ओ जिंदल जी ।

माना सबको छूट मिली , तुमने भी ले ली-
पढ़ा रहे पर कठिन पहाड़ा क्यूँ जिंदल जी ।

कौड़ी कौड़ी जोड़ा गांठा एम बी ए हूँ-
कम से कम देते हो भाड़ा  क्यूँ जिंदल जी।

एक वर्ष में पी एम की संपत्ति दुगुनी -
जरा हाथ मैंने भी मारा क्यूँ जिंदल जी ।।
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मेरे सपनों के भारत में, मोटा मोटा कोटा होगा-

मेरे सपनों के भारत में, मोटा मोटा कोटा होगा ।
बड़ा बड़प्पन रखे जेब में, चालू पुर्जा छोटा होगा ।|

गली गली में गदहा लोटा, भांग भरा हर लोटा होगा ।
नकली दाना दवा दिवाना, असली नस्ली  टोटा  होगा ।|

संसद में जब लंद-फंद हो, जम कर झोटी झोटा होगा ।
फुरसतिया के हाथों में तब,  बोटी होगी बोटा होगा ।|

चीटी चीनी चाट चुकी बस, बहता रहता *चोटा होगा ।
मिली भगत है सत्ता की सब, दे दे ठेका पोटा होगा ।|
*शीरा 

 करके दोहन खनिज-लवण का, माल-मसाला घोटा होगा ।
धरती पोली पोली होगी, केवल बचा लंगोटा होगा ।|

परखनली शिशु चपल खरा सा, माँ का बच्चा खोटा होगा ।
इधर कुपोषण से मरियल उत, फास्ट फूड खा मोटा होगा ।। 

इन्स्पेक्टर का राज रहेगा,  सजा हाथ में सोटा होगा ।
सजा कजा से खूब डराकर, मोटी घूस-घसोटा होगा ।|

 (दूसरी प्रस्तुति : उल्टा-पुल्टा )

सपनों का भारत दिखे, लिखे मुँगेरी लाल |
रुपिया बरसे खेत में, घर में मुर्गी दाल |
घर में मुर्गी दाल, चाल सब चलें पुरातन |
जर जमीन जंजाल, बजे हर घर में बरतन |
चचा भतीजावाद, राज भी हो अपनों का |
बझा रहे हर जंतु, यही भारत सपनों का ||

( पहली प्रस्तुति )
भीड़ घटे श्मशान में, हस्पताल में रोग ।
दारुण दुर्घटना घटे, सदा घटे संजोग ।
सदा घटे संजोग, भ्रूण हत्या ना होवे।
हो दहेज़ अब बंद,  कहीं कुत्ता ना रोवे ।
देखे रविकर स्वप्न, ध्वस्त दुश्मन-मनसूबे ।
सूबे सब खुशहाल, नहीं जी डी पी  डूबे ।।

11 comments:

  1. यूं धांसू बाण मत छोडो रविकर जी,
    आप भी भर सकते हो अपना घर जी,
    जिनके दोगुना होने की बात करते हो
    दो शून्य और लगाने वो भूले सर जी !

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  2. आज की सच्चाई से रूबरू कराती रचना आभार ........

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  3. परखनली शिशु चपल खरा सा, माँ का बच्चा खोटा होगा ।
    इधर कुपोषण से मरियल उत, फास्ट फूड खा मोटा होगा ।। बहुत बढिया व्यंजना .

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  4. दुगनी कहाँ हुई? वह तो उतनी ही है, कीमत ज़रूर दुगनी हो गयी

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    1. आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि चार सौ परसेंट बड़ी है श्रीमान ! पिछले साल के आंकड़ो में जहां १.७८ करोड़ दोनों प्लोतों और भवनों की कीमत बताई गई थी वो एक साल में बढ़कर ७.२७ करोड़ हो गई ! कहीं तो गलती थी या तो पिछले साल के आंकड़ों में या फिर इस साल के !

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  5. हा हा .. जिंदल साहब की मेहरबानी या मेडम की ...
    मज़ा आ गया दिनेश जी ,....

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  6. मंगलवार, 11 सितम्बर 2012
    देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने

    आज भारत के लोग बहुत उत्तप्त हैं .वर्तमान सरकार ने जो स्थिति बना दी है वह अब ज्यादा दुर्गन्ध देने लगी है .इसलिए जो संविधानिक संस्थाओं को गिरा रहें हैं उन वक्रमुखियों के मुंह से देश की प्रतिष्ठा की बात अच्छी नहीं लगती .चाहे वह दिग्विजय सिंह हों या मनीष तिवारी या ब्लॉग जगत के आधा सच वाले महेंद्र श्रीवास्तव साहब .

    असीम त्रिवेदी की शिकायत करने वाले ये वामपंथी वहीँ हैं जो आपातकाल में इंदिराजी का पाद सूंघते थे .और फूले नहीं समाते थे .

    त्रिवेदी जी असीम ने सिर्फ अपने कार्टूनों की मार्फ़त सरकार को आइना दिखलाया है कि देखो तुमने देश की हालत आज क्या कर दी है .

    अशोक की लाट में जो तीन शेर मुखरित थे वह हमारे शौर्य के प्रतीक थे .आज उन तमाम शेरों को सरकार ने भेड़ियाबना दिया है .और भेड़िया आप जानते हैं मौक़ा मिलने पर मरे हुए शिकार चट कर जाता है .शौर्य का प्रतीक नहीं हैं .
    असीम त्रिवेदी ने अशोक की लाट में तीन भेड़िये दिखाके यही संकेत दिया है .

    और कसाब तो संविधान क्या सारे भारत धर्मी समाज के मुंह पे मूत रहा है ये सरकार उसे फांसी देने में वोट बैंक की गिरावट महसूस करती है .
    क्या सिर्फ सोनिया गांधी की जय बोलना इस देश में अब शौर्य का प्रतीक रह गया है .ये कोंग्रेसी इसके अलावा और क्या करते हैं ?

    क्या रह गई आज देश की अवधारणा ?चीनी रक्षा मंत्री जब भारत आये उन्होंने अमर जवान ज्योति पे जाने से मना कर दिया .देश में स्वाभिमान होता ,उन्हें वापस भेज देता .
    बात साफ है आज नेताओं का आचरण टॉयलिट से भी गंदा है .
    टॉयलट तो फिर भी साफ़ कर लिया जाएगा .असीम त्रिवेदी ने कसाब को अपने कार्टून में संविधान के मुंह पे मूतता हुआ दिखाया है उसे नेताओं के मुंह पे मूतता हुआ दिखाना चाहिए था .ये उसकी गरिमा थी उसने ऐसा नहीं किया .
    सरकार किस किसको रोकेगी .आज पूरा भारत धर्मी समाज असीम त्रिवेदी के साथ खड़ा है ,देश में विदेश में ,असीम त्रिवेदी भारतीय विचार से जुड़ें हैं .और भारतीय विचार के कार्टून इन वक्र मुखी रक्त रंगी लेफ्टियों को रास नहीं आते इसलिए उसकी शिकायत कर दी .इस देश की भयभीत पुलिस ने उसे गिरिफ्तार कर लिया .श्रीमान न्यायालय ने उसे पुलिस रिमांड पे भेज दिया .


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  7. गुदगुदाती हुई एक व्यंग्यात्मक प्रस्तुति..जिंदल जी की तरह और भी बहुत से लोग है जिनकी किस्मत चमक गई है....शानदार प्रस्तुतिकरण की झलक आपकी दोनों रचनाओं में देखने को मिलती है..धन्यवाद सर जी..नमस्कार

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  8. हर घटना पर आप खरी बात कहते हैं । आपके व्यंग जबरदस्त ।

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