14 November, 2012

राज प्रयाग बसे सर सौरभ-



राज प्रयाग बसे सर सौरभ दीपक-ज्योति जलावत हैं |

पूज रहे तुलसी अति पावन श्रीकृति गोद खिलावत हैं |

मुग्ध दिखे चहुँ-ओर सबै पुरखों प्रति भाव दिखावत हैं |

मंगल मंगल हो घर-बाहर लख्मि-गणेश मनावत हैं |


लक्ष्मी पूजन के बाद आरती

 आदरणीय Saurabh Pandey
 लक्ष्मी पूजन के बाद आरती


हुक्का-हाकिम हुक्म दे, नहीं पटाखा फोर
हुक्का-हाकिम हुक्म दे, नहीं पटाखा फोर ।
इस कुटीर उद्योग का,  रख बारूद बटोर ।
रख बारूद बटोर, इन्हीं से बम्ब बनाना ।
एक शाम इक साथ, प्रदूषण क्यूँ फैलाना ?
मारे कीट-विषाणु, तीर नहिं रविकर तुक्का ।
ताश बैठ के खेल, खींच के दो कश हुक्का ।

7 comments:

  1. सुंदर प्रस्तुति । दीपावली पर्व की अनेक शुभ कामनाएं ।

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  2. सुंदर प्रस्तुति ............आपको भी स: परिवार दीपावली की शुभकामनायें.......

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  3. .हुक्का-हाकिम हुक्म दे, नहीं पटाखा फोर

    अरे भाई साहब कुंडली कहाँ गई इस बोक्स की

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  4. राज प्रयाग बसे सर सौरभ दीपक-ज्योति जलावत हैं |

    पूज रहे तुलसी अति पावन श्रीकृति गोद खिलावत हैं |

    मुग्ध दिखे चहुँ-ओर सबै पुरखों प्रति भाव दिखावत हैं |

    मंगल मंगल हो घर-बाहर लख्मि-गणेश मनावत हैं |

    मुदित भयो मन पढ़ी के जाकू .

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  5. दीपावली-पर्व-समुच्चय' की सपरिवार वधाई के साथ -
    बात सटीक कही है भैया, 'मौत' जने 'बारूद' |
    भय फैलाये हृदय में सबा के ,'प्यार'का मिटे वजूद ||

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  6. हुक्का-हाकिम हुक्म दे, नहीं पटाखा फोर
    हुक्का-हाकिम हुक्म दे, नहीं पटाखा फोर ।
    इस कुटीर उद्योग का, रख बारूद बटोर ।
    रख बारूद बटोर, इन्हीं से बम्ब बनाना ।
    एक शाम इक साथ, प्रदूषण क्यूँ फैलाना ?
    मारे कीट-विषाणु, तीर नहिं रविकर तुक्का ।
    ताश बैठ के खेल, खींच के दो कश हुक्का ।

    ज़वाब नहीं रविकर जी की इस धारदार कुंडली का ,राजनीतिक तंज का .बधाई .

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