19 November, 2012

गूगल दादा धन्य हम, बाँट रहे तुम रैंक्स-रविकर

बहुत बहुत आभार पाठक-गण 

लिंक-लिक्खाड़  का गूगल रैंक


गूगल दादा धन्य हम, बाँट रहे तुम रैंक्स |
एक हमें भी मिल गया, मेनी मेनी थैंक्स |

मेनी मेनी थैंक्स, यहाँ पर कविता भारी |
लेखक संघ मजबूत, पूछ नहिं वहाँ हमारी | 

कुछ कहना है ब्लॉग, लिंक-लिक्खाड़ हमारा |
दोनो पाए अंक, बहुत आभार तुम्हारा ||

"कुछ कहना है " ब्लॉग का गूगल रैंक

 


हिन्‍दी के सर्वश्रेष्‍ठ गद्य ब्‍लॉग: जिन पर हिन्दी ब्लॉग जगत की गुणवत्ता टिकी है ? 


लेखक मिलते गद्य में, वे हक़ पहला पाँय |
पद्य ब्लॉग की विवशता, मन ही मन अकुलांय |
मन ही मन अकुलांय, नजर अंदाज करे क्यों |
मन में था यह प्रश्न, मगर हम यहाँ करें क्यों |
करते अपना काम, आकलन है इनका हक़ |
करें पूर्ण साहित्य, कवि आलोचक लेखक || 

3 comments: