'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -२०
http://openbooksonline.com/
रविकर की कुछ टिप्पणियाँ
दोहा
भक्त पापधी पानि-शत, करें प्रदूषित पानि ।
पानिप घटती पानि की, बनता बड़ा सयानि ।
|
विधाता छंद
खड़ाऊं जो भरत मांगें नहीं करते मना रामा |
उठाये शीश पर जाते चुकायें वो बड़ा नामा |
नहाए है सवेरे ही हमारे राम घनश्यामा ।
धरा ने देख लो कैसे फ़टाफ़ट चिन्ह-पद थामा ।।
|
मदिरा सवैया तुलसी तमिसा तड़के तटनी तरखा तर की परवाह नहीं । तब तामस तापित तृष्णज से तनु-तृप्ति बुझावन चाह रही । धिक नश्वर देह सनेह बड़ा, पतनी ढिग दुर्गम दाह सही । तन सूख गया झट लौट गए, पग चिन्ह लखे भर आह रही ।। तमिसा = घाना अँधेरा तरखा = तेज बहाव ततनी = नदी तृष्णज = लोभी दुर्मिल सवैया
नित घूम रहे खुब रेल चढ़े पकवान भले चख लेवत भैया |
पर नीर नहीं जब शुद्ध मिले चलती थमती उन की यह नैया | अनमोलक वाटर बोतल से तब पीवत है इक घूँट घुमैया | रुचती मनमोहक है "मदिरा", शुभ देवत है रवि भ्रात बधैया || |
गूगल दादा धन्य हम, बाँट रहे तुम रैंक्स-रविकर
बहुत बहुत आभार पाठक-गण
लिंक-लिक्खाड़ का गूगल रैंक
गूगल दादा धन्य हम, बाँट रहे तुम रैंक्स |
एक हमें भी मिल गया, मेनी मेनी थैंक्स | मेनी मेनी थैंक्स, यहाँ पर कविता भारी | लेखक संघ मजबूत, पूछ नहिं वहाँ हमारी | कुछ कहना है ब्लॉग, लिंक-लिक्खाड़ हमारा | दोनो पाए अंक, बहुत आभार तुम्हारा || "कुछ कहना है " ब्लॉग का गूगल रैंक |
पी रविकर का रक्त, करे बेमतलब हुल्लड़-
फैलाए आँखे कुटिल, बाबा से कर भेंट ।
सदा पिनक में आलसी, लेता सर्प लपेट ।
लेता सर्प लपेट, समझता खुद को औघड़ ।
पी रविकर का रक्त, करे बेमतलब हुल्लड़ ।
कातिल सनकी मूढ़, पहुँचता बिना बुलाये ।
दुराचार नित करे, धर्म का भ्रम फैलाए ।
|
'काव्य-शास्त्र' का वोध,है अद्भुत हर छन्द में |
ReplyDeleteअलंकार-परिबोध, रखता कौन है आजकल !!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह!
ReplyDeleteबहुत सुंदर । प्रभु पद कमल पावन जल ।
ReplyDeleteसुंदर दोहे सवैया, दोहे और कुंडली ।
सदा की भाँति ..बढ़िया..
ReplyDeleteदुर्मिल सवैया
ReplyDeleteनित घूम रहे खुब रेल चढ़े पकवान भले चख लेवत भैया |
पर नीर नहीं जब शुद्ध मिले चलती थमती उन की यह नैया |
अनमोलक वाटर बोतल से तब पीवत है इक घूँट घुमैया |
रुचती मनमोहक है "मदिरा", शुभ देवत है रवि भ्रात बधैया ||
काव्य सरणी प्रवाहित कर दी रविकर जी ने .आनंद भयो मुंबई में .
गूगल दादा धन्य हम, बाँट रहे तुम रैंक्स-रविकर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार पाठक-गण
लिंक-लिक्खाड़ का गूगल रैंक
गूगल दादा धन्य हम, बाँट रहे तुम रैंक्स |
एक हमें भी मिल गया, मेनी मेनी थैंक्स |
मेनी मेनी थैंक्स, यहाँ पर कविता भारी |
लेखक संघ मजबूत, पूछ नहिं वहाँ हमारी |
कुछ कहना है ब्लॉग, लिंक-लिक्खाड़ हमारा |
दोनो पाए अंक, बहुत आभार तुम्हारा ||
"कुछ कहना है " ब्लॉग का गूगल रैंक
मुबारक .
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर उत्कष्ट अभिव्यक्ति
ReplyDelete