कुंडलियाँ
पावन पादोदक पियो, प्रभु पदचिन्ह प्रभाव ।
प्रथम-पहर प्रचरण प्रचय, पावो प्रग्य सुभाव ।
पावो प्रग्य सुभाव, पारदर्शी दस गोले ।
आयत हैं द्विदेह, गंगधर बोले भोले ।
परजा शील उपाय, ज्ञान सह दशबल वंदन ।
दान वीर्य बल ध्यान, क्षमा प्राणिधि पी पावन ।।
प्रचरण=विचरण
द्विदेह=गणेश
सवैया-
सूखत स्रोत सरोवर नित्य, सहे मन-मीन महा बाधा ।
पैर पखारन हेतु मंगावत, भक्त पखाल भरा आधा ।
बर्तन एक मंगाय भरा, इक यग्य बड़ा रविकर नाधा ।
साइत आकर ठाढ़ भई पद चिन्ह बनाय गए पाधा ।।
पखाल=मसक
पाधा=उपाध्याय
सुंदर अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteक्या कहने
ReplyDeleteबढिया
खूब सूरत आनुप्रासिक छटा बिखेरता सवैया .
ReplyDeleteवाह .. बहुत ही बढिया।
ReplyDeleteसुंदर पद कमल पावन जल। चित्र भी बहुत प्यारा ।
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