संगच्छध्वम मंत्रिता, मंगल-मंजुल वाद्य ||
संभृत स्वस्थ समृद्धता, त्रि-आयामी स्वास्थ |
भौतिक तन अध्यात्म मन, मिले मानसिक आथ ||
धन-दौलत संसृष्टि शक्ति, ख़ुशी कदाचित दर्द |
भोगे मिलकर संग में, दोनों औरत-मर्द ||
इक दूजे का नित करें, आदर प्रति-सम्मान |
परिवारों के प्रति रहे, इज्जत एक समान ||
सुन्दर योग्य बलिष्ठ हो, कीर्तियुक्त संतान |
कहें पाँचवा वचन सुन, बुद्धिमान इंसान ||
शान्ति-दीर्घ जीवन मिले, नहिं भूलें परमार्थ |
सिद्ध सदा करते रहें, इक दूजे के स्वार्थ ||
रहे भरोसा परस्पर, समझदार-साहचर्य |
प्रेमपुजारी बन रहें, बने रहें आदर्य ||
ReplyDeleteरहे भरोसा परस्पर, समझदार-साहचर्य |
प्रेमपुजारी बन रहें, बने रहें आदर्य ||
रहे भरोसा परस्पर, समझदार-साहचर्य |
प्रेमपुजारी बन रहें, बने रहें आदर्य ||
आदर्य शब्द प्रयोग बढ़िया बन पड़ा है .लेकिन समृद्ध कर लें सामृद्ध को
स्वास्थ और आथ प्रयोग ज़म नहीं रहें हैं .कुछ करें
स्वास्थ्य /आर्थ्य ?
१२७ साला कोंग्रेस पर की गई आपकी सौदेश्य टिप्पणियाँ मूल आलेख का हिस्सा बन चुकीं हैं .कृपया देखें .
ReplyDeleteआपको पढ़ना सदैव प्रसादपूर्ण होता है।
ReplyDeleteरहे भरोसा परस्पर, समझदार-साहचर्य |
ReplyDeleteप्रेमपुजारी बन रहें, बने रहें आदर्य ||
शुक्रिया आपकी सद्य टिप्पणियों का .बहुत बढ़िया प्रस्तुति .