03 December, 2012

रचते पढ़ते छंद, सुने प्रभु उन बन्दों की


छंदों की महिमा विषद, चर्चित शुभ-सन्देश |
कविता रच ले पाठ कर, करे ध्यान अनिमेष |


करे ध्यान अनिमेष, आत्म उत्थान जरुरी  |
सच्चा व्यक्ति विशेष, होय अभिलाषा पूरी |


रचते पढ़ते छंद, सुने प्रभु उन बन्दों की |
सच्चा हो ईमान, सुनों महिमा छंदों की ||

4 comments:

  1. छन्दोबद्ध रचते रहे रोज़ नया एक छंद ,

    छंद छंद से यों कहे कैसा है भई छंद .

    रचते पढ़ते छंद, सुने प्रभु उन बन्दों की |
    सच्चा हो ईमान, सुनों महिमा छंदों की ||

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  2. रचते पढ़ते छंद, सुने प्रभु उन बन्दों की |
    सच्चा हो ईमान, सुनों महिमा छंदों की ||

    Sachchi bat achchi bat.

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  3. रविकर भाई छा गए ही ,

    फिर शिखर पे आ गए हो .

    छंद को भी भा गए हो .देखें पोस्ट ताज़ा राम राम भाई पर जिसे आप ने पंख लगा दिए .

    छंदों की महिमा विषद, चर्चित शुभ-सन्देश |
    कविता रच ले पाठ कर, करे ध्यान अनिमेष |

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  4. रविकर भाई छा गए हो ,फिर शिखर मन भा गए हो .

    छंद को सरसा गए हो .

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