देख रियाया आ डटी, कपट सियासत झेल ।
रियासती-झंझट बढ़े, सीमा पर भी फेल ।
सीमा पर भी फेल, शादियाँ होती नाना ।
अब्दुल्ला हर बार, और ज्यादा मस्ताना ।
ठण्ड माघ की बाघ, बढ़ा के रेल किराया ।
मंत्री मूते आग, रुलाते देख रियाया ।।
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मोहन बाबू मर्द, कभी काटी ना चुटकी-
दो दो पैसे में बटा, किम्मी किम्मी दर्द ।
तुम क्या जानो कीमतें, मोहन बाबू मर्द ।
मोहन बाबू मर्द, कभी काटी ना चुटकी ।
देह आज है जर्द, आत्मा अटकी भटकी ।
समय सुरक्षित रेल, बढ़ें सुविधाएं कैसे ?
रहे संपदा लूट, लूट अब दो दो पैसे ।।
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दान समझ कर डाल दे, हो जा हिन्दु रिलैक्स -डालो पैसे कुम्भ में, है नहिं मेला टैक्स । दान समझ कर डाल दे, हो जा हिन्दु रिलैक्स । हो जा हिन्दु रिलैक्स, फैक्स आया है भारी । हज पर अगली बार, सब्सिडी की तैयारी । अमरनाथ जय जयतु, नहीं इच्छा तुम पालो । नेकी कर ले भगत, दान दरिया में डालो ।। |
जस्टिस वर्मा को मिले, भाँति-भाँति के मेल ।
रेपिस्टों की सजा पर, दी दादी भी ठेल । दी दादी भी ठेल, कत्तई मत अजमाना । सही सजा है किन्तु, जमाना मारे ताना । जो भी औरत मर्द, रेप सम करे अधर्मा । चेंज करा के सेक्स, सजा दो जस्टिस वर्मा ।। |
सराहनीय प्रस्तुति.बहुत सुंदर
ReplyDeleteप्रभावशाली ,
ReplyDeleteजारी रहें।
शुभकामना !!!
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दो दो पैसे में बटा, किम्मी किम्मी दर्द ।
ReplyDeleteतुम क्या जानो कीमतें, मोहन बाबू मर्द ।
मोहन बाबू मर्द, कभी काटी ना चुटकी ।
देह आज है जर्द, आत्मा अटकी भटकी ।
समय सुरक्षित रेल, बढ़ें सुविधाएं कैसे ?
रहे संपदा लूट, लूट अब दो दो पैसे ।।
भाई साहब तस्वीर हिन्दुस्तान की है असली है .
दो दो पैसे में बटा, किम्मी किम्मी दर्द ।
ReplyDeleteतुम क्या जानो कीमतें, मोहन बाबू मर्द ।
मोहन बाबू मर्द, कभी काटी ना चुटकी ।
देह आज है जर्द, आत्मा अटकी भटकी ।
समय सुरक्षित रेल, बढ़ें सुविधाएं कैसे ?
रहे संपदा लूट, लूट अब दो दो पैसे ।।
भाई साहब तस्वीर हिन्दुस्तान की है असली है .
बढ़िया प्रस्तुति भाई साहब .
ReplyDeleteKitane vividh vishayon par sheeghr kawitw karke kundaliyan prastut karate hain aap. Salam aapki kalam ko .
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