काट कपाल धरे कपटी, कटुता हर बार बढ़ावत है ।
भूल गया अघ मानवता, फिर भी नित पाक कहावत है ।
नक्सल भी बम प्लांट करे, शव में अब दुष्ट लगावत है ।
अन्दर बाहर घात हुवे, सरदी सरदार भगावत है ।
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नक्सल मारे जान से, फाड़ फ़ोर्स का पेट।
करवाता बम प्लांट फिर, डाक्टर सिले समेट ।
डाक्टर सिले समेट, कहाँ मानव-अधिकारी ।
हिमायती हैं कहाँ, कहाँ करते मक्कारी ।
चुप क्यूँ हो पापियों, कहाँ चरती है अक्कल ?
शत्रु देश नापाक, कहाँ का है तू नक्सल ??
सीमा पर उत्पात हो, शत्रु देश का हाथ ।
फेल खूफिया तंत्र है, कटते सैनिक माथ । कटते सैनिक माथ, रहे पर सत्ता सोई । रचि राखा जो राम, वही दुर्घटना होई । इत नक्सल आतंक, पुलिस का करती कीमा । पेट फाड़ बम प्लांट, पार करते अब सीमा ।। शब्दों से आक्रोश को, व्यक्त करे आकाश । देश रसातल में धंसे, देख लाल की लाश । देख लाल की लाश, अनर्गल बकती सत्ता । लेकिन पाकी फांस, घुसे हरदम अलबत्ता । इत नक्सल दुर्दांत, उधर आतंकी पोसे । करिए अब तो क्रान्ति, भावना से शब्दों से ।। पाकी सिर काटे अगर, व्यक्त सही आक्रोश । मरे पुलिस के पेट में, नक्सल दे बम खोंस । नक्सल दे बम खोंस, आधुनिक विस्फोटक से । करे धमाका ठोस, दुबारा पूरे हक़ से । अन्दर बाहर शत्रु, बताओ अब क्या बाकी । नक्सल पीछे कहाँ, तनिक आगे है पाकी ।। पाकी दो सैनिक हते, इत नक्सल इक्कीस । रविकर इन पर रीस है, उन पर दारुण रीस । उन पर दारुण रीस, देह क्षत-विक्षत कर दी । सो के सत्ताधीश, गुजारे घर में सर्दी । बाह्य-व्यवस्था फेल, नहीं अन्दर भी बाकी । सीमोलंघन खेल, बाज नहिं आते पाकी ।। |
आई मौनी अमाँ है, तमा तमीचर तीर |
नारी मरती सड़क पर, सीमा पर बलवीर |
सीमा पर बलवीर, देश में अफरा तफरी |
सत्ता की तफरीह, जेब लोगों की कतरी |
बेलगाम है लूट, समंदर पार कमाई |
ढूँढ़ दूज का चाँद, अमाँ यह लम्बी आई ||
नारी मरती सड़क पर, सीमा पर बलवीर |
सीमा पर बलवीर, देश में अफरा तफरी |
सत्ता की तफरीह, जेब लोगों की कतरी |
बेलगाम है लूट, समंदर पार कमाई |
ढूँढ़ दूज का चाँद, अमाँ यह लम्बी आई ||
अन्दर बाहर घात हुवे, सरदी सरदार भगावत है । वाकई देश गुस्से में हैं लेकिन हुक्मरान है कि चुप बेठे हैं !!
ReplyDelete✿♥❀♥❁•*¨✿❀❁•*¨✫♥
♥सादर वंदे मातरम् !♥
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आदरणीय रविकर जी
मन को झकझोर देने वाली आपकी इन रचनाओं के लिए क्या कहा जाए ...
सादर नमन !
अंधे-बहरे प्रशासकों तक आपके शब्द पहुंचे तो शायद उनको कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरणा मिले ...
साधुवाद !!
हार्दिक मंगलकामनाएं …
लोहड़ी एवं मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर !
राजेन्द्र स्वर्णकार
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