जली दिमागी बत्तियां, किन्तु हुईं कुछ फ्यूज ।
बरबस बस के हादसे, बनते प्राइम न्यूज ।
बनते प्राइम न्यूज, व्यूज एक्सपर्ट आ रहे ।
शब्द यूज कन्फ्यूज, गालियाँ साथ खा रहे ।
सड़ी-गली दे सीख, मिटाते मुंह की खुजली ।
स्वयंसिद्ध *सक सृज्य , गिरे उनपर बन बिजली ।।
*शक्ति |
मर्यादित वो राम जी, व्यवहारिक घनश्याम ।
देख आधुनिक स्वयंभू , ताम-झाम से काम ।
ताम-झाम से काम-तमाम कराते राधे ।
राधे राधे बोल, सकल हित अपना साधे ।
बेवकूफ हैं भक्त, अजब रहती दिनचर्या ।
कर खुद गीता पाठ, रोज ही जाकर मर-या ।
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बढिया, बहुत सुंदर
ReplyDeleteबढ़िया व्यंग्य-बान!
ReplyDelete~सादर!!
ReplyDeleteताम-झाम से काम-तमाम कराते राधे ।
राधे राधे बोल, सकल हित अपना साधे ।
बेवकूफ हैं भक्त, अजब रहती दिनचर्या ।
कर खुद गीता पाठ, रोज ही जाकर मर-या ।
और ये भी देखिये अचानक बलात्कार की खबरें बड़े बड़े अखबारों की पहली खबर बनने लगीं हैं .लगवाई जातीं हैं ये खबरें पैसे देकर पहली खबर के रूप में .
.आपकी सद्य टिप्पणियों के लिए
आभार .
मुबारक मकर संक्रांति पर्व .