पूर्ति करे या न करे, लगे चदरिया दाग ।
गुड़ गुड़-कर के गुड़गुड़ी, गाय गुड़करी राग ।
गाय गुड़करी राग, मगर अब भी ना जागे ।
आय आयकर टीम, बोल-बम उन पर दागे ।
खटिया करके खड़ी, गया भाजप का बन्दा ।
बढ़ी और भी अकड़, व्यर्थ धमकाए गन्दा ।।
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अतिथि कविता : गिर गया गर हाथ से पुर्जा -डॉ .वागीश मेहता
Virendra Kumar Sharma
ज्ञानपीठ लिक्खाड़ को, पुर्जे-पुर्जे ख़्वाब |
पुर्जा उड़ जाए अगर, हालत होय खराब | हालत होय खराब, चढ़ा ले आस्तीन फिर | आस्तीन के साँप, सफलता चढ़ती है सिर|
खान-दान का खूह, खुदा है, लगा डुबकियाँ |
तृप्त हो चुकी रूह, भंजा ले मियाँ सुबकियाँ ||
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गडकरी पूर्ती समूह पर कांग्रेस नीत छापों का आयोजन और समय शक के दायरे में ज़रूर लाता है कोंग्रेस को भले गडकरी दूध के धुले न हो .अपने वोटरों समर्थकों को उनके पास भरोसा दिलाने का आसान तरिका यही था ,उन्हें आश्वस्त करते हुए कहना मैं बे -दाग आऊँगा इस काजल की कोठरी से जिसमें फंसे लोग जेलों के तीर्थ तिहाड़ में पहुँच रहे हैं .आगे वक्त बताएगा ,कौन कितने पानी में था .टाइमिंग इन छापों का गलत था .
ReplyDeleteप्रांजल भाषा मनोहर शैली में मनोहारी चित्रण संस्कृति इतिहासिक पृष्ठ भूमि लिए .
ReplyDeleteइस तंत्र की जय हो .जहां हर पल मरता हो गण ,उस तंत्र की जय हो .जहां पल प्रति पल होतें हों बलात्कार हर उम्र की मादा के साथ .जहां डाल डाल पे वहशियों का हो डेरा
ReplyDeleteI am a Hindu and by corollary a terrorist .Jai ho .This sentence of mine is dedicated to Mr Shinde the HM of India not of Bharat .
दुश्शासन बैठा संसद में ,
अब्दाली की अब है दिल्ली .
यह लड़ाई राष्ट्रवादियों और राष्ट्रघातियों के बीच में है .राष्ट्रघाती सेकुलर होने का छद्म आवरण ओढ़े हुए हैं यही उनकी पहचान है .अगर कहीं कोई अपने आपको सेकुलर कहता मिल जाए तो उसकी
कैफियत पहचान लीजिएगा .