उद्धव द्वापर में व्यथित, फिर आये कलिकाल ।
चाक़ू पाकर गोपियाँ, काटें कामुक-चाल ।
काटें कामुक-चाल, श्याम भी अब घबराए ।
खुद को रहे सँभाल, नहीं यमुना तट जाए ।
*भौमासुर अपहरित, हजारों बाला माधव ।
बंधन से आजाद, कराओगे कब उद्धव ??
*सोलह हजार राजकुमारियों को बंधक बनाने वाला
चाकू रखती गोपियाँ, शिवसेना दे बाँट | नहीं जोहती बाट अब, सीधे देती काट | सीधे देती काट , कृष्ण छल-रूप सुधारो | छेड़छाड़ अपराध, सीटियों यूँ न मारो | डाल जींस टी-शर्ट, बनो न कृष्ण हलाकू | मनमोहन गर मौन, चलाये ममता चाकू || |
तन से नहीं मन से बंधक बनाने वाला !
ReplyDeleteWah !
ReplyDeleteनया कानून आ रहा है ,कृष्ण को संभल कर सिटी बजाना है.
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