ब्रिटिश सांसद भी कहे, पहरावे में दोष ।
आधी आबादी सहे, कारण यह ही ठोस ।
कारण यह ही ठोस, रोष मत करना नारी ।
सैंडिल ऊंची छोड़, करो फिर से तैयारी ।
कोई हाथ लगाय, उठा जूतियाँ फटाफट ।
तुरत नाक-मुंह थूर, गिने बिन मार सटासट ।।
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पैंट-शर्ट में पुरुष के, हमें दीखता दोष ।
अंत: वस्त्रों में दिखे, ज्यादा जोश खरोश ।
ज्यादा जोश खरोश, पहन अब वही जाँघिया ।
धोती-कुरता झाड, पजामा बनी धारियां ।
सात्विक भोजन होय, मूक फ़िल्में भी त्यागो ।
बदलो अपने ढंग, गोलियां यूँ मत दागो ।।
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वाह रविकर जी ज़वाब नहीं आपकी प्रासंगिक टिप्पणियों का
ReplyDeleteलाजवाब !!
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