किन्तु इधर प्रीतीश, लिवाले रति सी बन्दी ।खुले तीसरा नेत्र, सहम जाता है नन्दी ।।सार्थक अभिव्यक्ति !
बढ़िया प्रस्तुति भाई साहब .
वाह!आपकी यह प्रविष्टि को आज दिनांक 28-01-2013 को चर्चामंच-1138 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
चलती रहे कलम!
बहुत ही सार्थक अभिव्यक्ति ,आपका धन्यबाद।
बहुत बढ़िया साब | मज़ा आ गया अंतिम दोहों में | Tamasha-E-ZindagiTamashaezindagi FB Page
किन्तु इधर प्रीतीश, लिवाले रति सी बन्दी ।
ReplyDeleteखुले तीसरा नेत्र, सहम जाता है नन्दी ।।
सार्थक अभिव्यक्ति !
बढ़िया प्रस्तुति भाई साहब .
ReplyDeleteवाह!
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चलती रहे कलम!
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