सत्ता मद यह हेकड़ी, पैदा कर हालात ।
संवैधानिक पोस्ट को, दिखा रहे औकात ।
दिखा रहे औकात, लगाते मुख पर ताला ।
खुद करते बकवाद, और पाते पद आला ।
मौसेरे यह चोर, बताते सबको धत्ता ।
लुटते रोज करोड़, मौज में छक्का सत्ता ।।
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पुतले बावन कार्ड के, इक जोकर पा जाय ।
सत्ता-तिर्यल पायके, ठगे कार्य-विधि-न्याय ।
ठगे कार्य-विधि-न्याय, किंग बेगम के गुल्लू ।
दिग्गी छक्के फोर, बनाते घूमे उल्लू ।
काला सा ला देख, करा ले शो तो पगले ।
जीतें इक्के तीन, हार जाएँ सब पुतले ।।
परसेंटेज का कर रहा, खुलकर खेल खबीस ।
ग्रोथ-रेट बस पाँच की, मिले कमीशन बीस ।
मिले कमीशन बीस, रीस मन ही मन करता ।
फिफ्टी फिफ्टी बंटे, अभी तो बहुत अखरता ।
खेत खान विकलांग, सभी का बढ़ा पेट है ।
चलो खरीदो वोट, बोल क्या ग्रोथ रेट है -
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बहुत सुन्दर व्यंग सर जी ** परसेंटेज का कर रहा, खुलकर खेल खबीस ।
ReplyDeleteग्रोथ-रेट बस पाँच की, मिले कमीशन बीस ।
मिले कमीशन बीस, रीस मन ही मन करता ।
फिफ्टी फिफ्टी बंटे, अभी तो बहुत अखरता ।
खेत खान विकलांग, सभी का बढ़ा पेट है ।
चलो खरीदो वोट, बोल क्या ग्रोथ रेट है -
faila sare jag me yahi maya jal ,
ReplyDeletejisko dekho uska yahan aisa hi hai hal ,
aisa hi hai hal chhudeyen chchakke sabke ,
desh kee sachchi bhakti se sab neta bhatke .
.सराहनीय अभिव्यक्ति संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करें कैग आप भी जाने अफ़रोज़ ,कसाब-कॉंग्रेस के गले की फांस
बढ़िया व्यंग..
ReplyDeleteरविकर भाई आपकी कुंडलीकृत काव्यात्मक रूपकात्मक टिप्पणियाँ ब्लॉग जगत की शान और मान दोनों हैं .आभार आपका .स्पेम में से निकालें टिप्पणियाँ .
ReplyDeleteरविकर भाई आपकी कुंडलीकृत काव्यात्मक रूपकात्मक टिप्पणियाँ ब्लॉग जगत की शान और मान दोनों हैं .आभार आपका .स्पेम में से निकालें टिप्पणियाँ .
ReplyDeleteबहुत सुंदर .बेह्तरीन अभिव्यक्ति !शुभकामनायें.
ReplyDeleteवाह! भाई
ReplyDeleteसशक्त रूपकात्मक अभिव्यक्ति सर जी .जबरजस्त .
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