09 February, 2013

हिन्दु शब्दश: भार, बीच सागर में डूबे-

हिन्दु बोट पर चढ़ चले, सागर-सत्ता पार |
शिल्पी नहिं नल-नील से, बटी लटी सी धार |

बटी लटी सी धार, कौन पूरे मन्सूबे |
हिन्दु शब्दश: भार,
बीच सागर में डूबे  |

अपनी ढपली राग, नजर है बड़ी खोट पर |
 है धिक्कार हजार, हिन्दु पर हिन्दु बोट पर ||

1 comment:

  1. बढ़िया प्रस्तुति है .कोई तो है जो हिन्दू स्वाभिमान की भारत धर्मी समाज की बात करता है हिन्दू शब्द को व्यापक अर्थ बोध देता है .आभार इस प्रस्तुति के लिए .

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