परसेंटेज का कर रहा, खुलकर खेल खबीस ।
ग्रोथ-रेट बस पाँच की, मिले कमीशन बीस ।
मिले कमीशन बीस, रीस मन ही मन करता ।
फिफ्टी फिफ्टी बंटे, अभी तो बहुत अखरता ।
खेत खान विकलांग, सभी का बढ़ा पेट है ।
चलो खरीदो वोट, बोल क्या ग्रोथ रेट है -
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भारतीय लोक-तंत्र
*सराजाम सारा जमा, रही सुरसुरा ^सारि |
सुधा-सुरा चौसर जमा, जाम सुरासुर डारि |
जाम सुरासुर डारि, खेलते दे दे गारी |
पौ-बारह चिल्लाय, जीत के बारी बारी |
जो सत्ता हथियाय, सुधा पी देखे मुजरा |
जन-गण जाये हार, दूसरा मद में पसरा ।।
*सामग्री ^चौपड़ की गोटी
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बढ़ता मध्य-प्रदेश, अरब-पति नौकर पाए-
हृष्ट-पुष्ट रिश्वत रखे, बम बम रिश्वत खोर |
देते लेते निकलते, चन्दा चोंच चकोर |
चन्दा चोंच चकोर, चतुर चुटकियाँ बजाते |
काम निकलता देख, रोक खुद को ना पाते |
बढ़ता मध्य-प्रदेश, अरब-पति नौकर पाए |
लेना देना सत्य, नहीं रविकर शरमाये ||
आई आई के लिए, कुदरत का आईन | दोनों की गोदी सुखद, कहते रहे जहीन | कहते रहे जहीन, यहाँ आई ले आई | लेकिन आई मित्र, वहाँ निश्चय ले जाई | इन्तजार दो छोड़, व्यवस्था करो ख़ुदाई | ज्यों आई आश्वस्त, देख त्यों हर्षित आई || आई=मौत / माता |
परसेंटेज का कर रहा, खुलकर खेल खबीस ।
ReplyDeleteग्रोथ-रेट बस पाँच की, मिले कमीशन बीस ।
मिले कमीशन बीस, रीस मन ही मन करता ।
फिफ्टी फिफ्टी बंटे, अभी तो बहुत अखरता ।
खेत खान विकलांग, सभी का बढ़ा पेट है ।
चलो खरीदो वोट, बोल क्या ग्रोथ रेट है -
शानदार जानदार व्यंग्य विद्रूप निजाम पर .
एकदम सही बात कही है आपने शानदार व्यंग्य ये क्या कर रहे हैं दामिनी के पिता जी ? आप भी जाने अफ़रोज़ ,कसाब-कॉंग्रेस के गले की फांस
ReplyDeleteबहुत खूब . सुन्दर प्रस्तुति .आभार आपका
ReplyDeletebahut badhiya prastuti.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति !!
ReplyDeletebahut sundar prastuti..
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (9-2-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
बेजोड़ और नायब प्रस्तुति,प्रतिशत का है गणित अनूठा
ReplyDeleteखा पी अपने ,दिखाय अंगूठा
वाकई ...
ReplyDeleteसभी का पेट बढा है !