वाह, वाह!...क्या कहने!Aruna Kapoor
विधिना लिखकर सो गए, अपने अतुल विधान |
सरेआम अदना अकल, डाले नए निशान | डाले नए निशान, शान से कविता रचते | उद्वेलित हो हृदय, तहलके जमके मचते | स्वान्त: लिखूं सुखाय, जानता रविकर इतना | पुरस्कार जो पाय, आय हमको वह विधि- ना || |
इतने 'रत्न' !
ReplyDeleteइतने 'विभूषण' !!
इतने 'भूषण' !!!
इतने 'पद्म' सम्मान !!!!
फिर भी ...
ख़तरे में इज़्ज़त,
क्षत-विक्षत 'मान' ...
सचमुच
भारत देश महान !
-प्रदीप कुमार पालीवाल
सही कहा रविकर जी पर आपका पुरस्कार तो हम जैसे पाठक हैं ना ।
ReplyDeleteaasha ji ne bilkul sahi kaha .बहुत सुन्दर प्रस्तुति राजनीतिक सोच :भुनाती दामिनी की मौत आप भी जाने मानवाधिकार व् कानून :क्या अपराधियों के लिए ही बने हैं ?
ReplyDeleteबहुत बढिया।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया....
ReplyDeleteसादर
अनु