06 February, 2013

रविकर गुजरा माह, आज बोला "तो-गरिया"-




बढ़िया था ना  बोलता, अपनी चुप्पी तोड़ ।
ओ-वेशी ही कर रहा, बेमतलब की होड़ ।

बेमतलब की होड़, नहीं अब यूँ बहकाना ।
माना वह है मूर्ख, तुम्हें भी कहे जमाना ।

रविकर गुजरा माह, आज बोला "तो-गरिया" ।
रहा देखता राह, किन्तु चुप्पी थी बढ़िया ।।

  पुरानी -कुण्डली
ओ-वेशी मत बकबका, मुहाजिरों को देख |
सर्वाइव कैसे करें, शिया मियां कुल शेख |

शिया मियां कुल शेख, पाक की हालत बदतर |
इत मुस्लिम खुशहाल, किसी से हैं क्या कमतर

विश्लेषण अनुसार, हिन्दु है बड़ा हितैषी  |
बाप चुके थे बाट, बाट मत अब ओ बेशी ||




3 comments:

  1. बुद्धि विभाजक सर्वदा,चालें चलती मीन
    अति हुई तो तोड़ मौन,प्रकट हुए प्रवीण

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  2. बढ़िया गरियाया है ओ -वेशी बहरुपिये को .

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  3. बढ़िया..मजेदार प्रस्तुति।।।

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