02 February, 2013

बीस साल तक छूट, कहीं यदि रेप-खरोंचे -



 सारा जग चालाक हैं, रखे पूत का ख्याल |
पहली कक्षा में दिया, चुरा लिया दो साल |
चुरा लिया दो साल, बहुत आगे की सोंचे |
बीस साल तक छूट, कहीं यदि रेप-खरोंचे |
बचे सजा से साफ़, कदाचित हो हत्यारा |
लास्ट लाउडली लॉफ़, न्याय अन्धा संसारा ||


शैतानों तानों नहीं,  कामी-कलुषित देह ।
तानों से भी डर मुए,  कर नफरत ना नेह ।
कर नफरत ना नेह, नहीं संदेह बकाया ।
बहुत बकाया देश, किन्तु बिल लेकर आया ।
छेड़-छाड़ अपमान, रेप हत्या मर-दानों ।
सजा हुई है फिक्स, मिले फांसी शैतानों ।।


लाठी हत्या कर चुकी, चुकी छुरे की धार |
कट्टा-पिस्टल गन धरो, बम भी हैं बेकार |
बम भी हैं बेकार, नया एक अस्त्र जोड़िये |
सरेआम कर क़त्ल, देह निर्वस्त्र छोड़िए | 
नाबालिग ले  ढूँढ़, होय बढ़िया कद-काठी |
मरवा दे कुल साँप,  नहीं टूटेगी लाठी ||


नाबालिग की पार्टी, मने वहाँ पर जश्न ।
जमा जन्म-तिथि देखकर, फँसने का क्या प्रश्न ।
फँसने का क्या प्रश्न, चलो मस्ती करते हैं ।
है सरकारी छूट, नपुंसक ही डरते हैं ।
पड़ो एकश: टूट, फटाफट हो जा फारिग ।
चार दिनों के बाद, रहें ना हम नाबालिग ।।



बालिग़ जब तक हो नहीं, चन्दा-तारे तोड़ ।
मनचाहा कर कृत्य कुल, बाहें रोज मरोड़ ।
बाहें रोज मरोड़, मार काजी को जूता ।
अब बाहर भी मूत, मोहल्ले-घर में मूता ।
चढ़े वासना ज्वार, फटाफट हो जा फारिग ।
फिर चाहे तो मार, अभी तो तू नाबालिग ।।



अंधी देवी न्याय की, चालें डंडी-मार |
पलड़े में सौ छेद हैं, डोरी से व्यभिचार |

डोरी से व्यभिचार, तराजू बबली-बंटी  |
देता जुल्म नकार, बजे खतरे की घंटी |

अमरीका इंग्लैण्ड, जुर्म का करें आकलन |
कड़ी सजा दें देश, जेल हो उसे आमरण ||



ब्रिटिश सांसद भी कहे, पहरावे में दोष ।
आधी आबादी सहे, कारण यह ही ठोस ।
कारण यह ही ठोस, रोष मत करना नारी ।
सैंडिल ऊंची छोड़, करो फिर से तैयारी ।
कोई हाथ लगाय, उठा जूतियाँ फटाफट ।
तुरत नाक-मुंह थूर, गिने बिन मार सटासट  ।।

 पैंट-शर्ट में पुरुष के, हमें दीखता दोष ।
अंत: वस्त्रों में दिखे, ज्यादा जोश खरोश ।
ज्यादा जोश खरोश, पहन अब वही जाँघिया ।
धोती-कुरता झाड, पजामा बनी धारियां ।
सात्विक भोजन होय, मूक फ़िल्में भी त्यागो ।
बदलो अपने ढंग, गोलियां यूँ मत दागो ।।

 कामा कामुक कामुकी, तन-मन से बीमार ।
ताना-बाना ध्वस्त कर, छोड़ भगे परिवार ।
छोड़ भगे परिवार, लूटते रहजन बनकर ।
सरेआम लें लूट, देह दिखती जो सुन्दर ।
ऐसे सेक्स एडिक्ट, करें सेक्सी हंगामा ।
नाता-रिश्ता भूल, दोहते कामुक कामा ।।


13 comments:

  1. आपकी मेहनत अदभुत है।
    शुक्रिया !

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  2. बिल्कुल सच...बहुत सशक्त प्रस्तुति..

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  3. वाह!
    आपकी यह प्रविष्टि कल दिनांक 04-02-2013 को चर्चामंच-1145 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  4. छेड़-छाड़ अपमान, रेप हत्या मर-दानों ।
    सजा हुई है फिक्स, मिले फांसी शैतानों ।।

    100 फीसदी सच। नाबलिको को भी ऐसे जघन्य अपराध में कोई छूट नहीं मिलनी चाहिए। बहुमूल्य प्रस्तुति। धन्यवाद और ढेर साड़ी बधाई इस समाज की सचाई को चोट करती हुई कृति पर..

    नरेन्द्र गुप्ता

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति | मैं तो कहता हूँ के कोई भी दरिंदा अगर ऐसे वीभत्स कुकृत्य को अंजाम देता है तो उससे बीच चोराहे पर जिंदा जला देना चाहियें फिर चाहे वो बालिग हो या नाबालिग |

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  6. बहुत सटीक एवं प्रासंगिक प्रस्तुति

    सारा जग चालाक हैं, रखे पूत का ख्याल |
    पहली कक्षा में दिया, चुरा लिया दो साल |
    चुरा लिया दो साल, बहुत आगे की सोंचे |
    बीस साल तक छूट, कहीं यदि रेप-खरोंचे |
    बचे सजा से साफ़, कदाचित हो हत्यारा |
    लास्ट लाउडली लॉफ़, न्याय अन्धा संसारा ||

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  7. सारा जग चालाक हैं, रखे पूत का ख्याल |
    पहली कक्षा में दिया, चुरा लिया दो साल |
    चुरा लिया दो साल, बहुत आगे की सोंचे |
    बीस साल तक छूट, कहीं यदि रेप-खरोंचे |
    बचे सजा से साफ़, कदाचित हो हत्यारा |
    लास्ट लाउडली लॉफ़, न्याय अन्धा संसारा ||
    मौजू व्यंग्य रचना .


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  8. सारा जग चालाक हैं, रखे पूत का ख्याल |
    पहली कक्षा में दिया, चुरा लिया दो साल |
    चुरा लिया दो साल, बहुत आगे की सोंचे |
    बीस साल तक छूट, कहीं यदि रेप-खरोंचे |
    बचे सजा से साफ़, कदाचित हो हत्यारा |
    लास्ट लाउडली लॉफ़, न्याय अन्धा संसारा ||
    मौजू व्यंग्य रचना .
    बीस साल तक छूट, कहीं यदि रेप-खरोंचे -'रविकर'

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  9. सटीक कटाक्ष... नाबालिगों की उम्र सीमा और उनके अपराध के कानूनी पहलू को बहुत अच्छी तरह लिखा है आपने. अर्थपूर्ण व्यंग रचना के लिए बधाई.

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  10. अंधी देवी न्याय की, चालें डंडी-मार |
    पलड़े में सौ छेद हैं, डोरी से व्यभिचार |
    बहुत ही अच्छा प्रस्तुति........
    कानून पहलू को बहुत ही अच्छी तरह से प्रस्तुत किया है।

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