(दोपहर में एक स्टूडेंट की आवाज पड़ी कान में -चलो यार ढाल पर पप्पियाँ झप्पियाँ मारते हैं-)
मारो झप्पी ढाल पर, लूटो पप्पी एक ।
मारो झप्पी ढाल पर, लूटो पप्पी एक ।
लाइफ़ सेट हो जायगी, हो जाए बी टेक ।
हो जाए बी टेक, कहीं री-टेक एक दो ।
बन्दे कैसी फ़िक्र, बड़े ब्रिलिएंट आप हो ।
खुद को ऐसा ढाल, ढाल पर साल गुजारो ।
प्लेसमेंट तो फिक्स, क्लास को गोली मारो ॥
ये भी स्टेटस सिंबल है कॉलेजस में आजकल...
ReplyDeleteक्या सोचकर माँ-बाप बच्चों को पढ़ने भेजते हैं... और वो......
~सादर!!!
damdar prastuti, bahut khoob
ReplyDeleteसर जी क्या खूब ,जोरदार
ReplyDeleteBechare mata pita jo n jane kis kis umeed se unhen itna kharch kar pet kat kar wahan padhne bhejte haen?
ReplyDeleteEK VICHARNIYA PRASTUTI
बहुत उम्दा .
ReplyDeleteमेरी नई रचना
ये कैसी मोहब्बत है
खुशबू
हा हा हा हा हा | बहुत उम्दा गुरूजी | प्रणाम
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