"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 29
मदिरा सवैया
नंग-धडंग अनंग-रती *अकलांत अनंद मनावत हैं ।
रंग बसंत अनंत चढ़ा शर चाप चढ़ाय चलावत हैं ।
लाल हरा हुइ जाय धरा नभ नील सफ़ेद दिखावत हैं ।
अंग अनेकन अर्थ भरे लुकवावत हैं रँगवावत हैं ॥
*ग्लानि-रहित
waah bahut khub
ReplyDeleteक्या बात, बहुत बढिया
ReplyDeleteवाह बहुत ही प्रवाही और प्रभावी सवैया ।
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