कॉलोनी मजदूर की, रानी है मगरूर ।
मधु खाते सामन्त-कुल, कुल घमंड में चूर ।
कुल घमंड में चूर, यहाँ *खट-मरते मुर्गे ।
अंडे खाए अन्य, दरोगा नेता गुर्गे ।
बेचारे मजदूर, झेलते हैं अनहोनी ।
छत्ता जैसा देश, बनाते मधु-कॉलोनी ॥
*मेहनत करके
सुन्दर और सटीक कुंडलियाँ !!
ReplyDeleteआभार माननीय !!
वाह वाह रविकर ये देश मधुमख्खी के छत्ते की तरह हैं .रानी मख्खी रिमोट है मजदूरन आम आदमी आदमीं है .
ReplyDeleteक्या बात , बहुत सुंदर
ReplyDeleteबेहतरीन स्टिक कुण्डलियाँ गुरुदेव,आभार.
ReplyDeleteबधाई सात किलोग्राम तौल घटाने पर .इसे भी ट्राई करें चीनी के स्थान पर न्यूट्री वेल्यु स्टीविया इस्तेमाल करें .(एस टी ई वी आई ऐ बोले तो स्टीविया ,कुदरती सूखी हुई पट्टियां हैं ये जो एक चुटकी डालनी हैं उबलते पानी में चाय बनाते वक्त चीनी के स्थान पर .यह औषधीय वनस्पति चीनी से २५ - ३० गुना ज्यादा मीठी है .
ReplyDeleteवन्धुवर,आज ऐसी ही रचनाओं की ज़रूरत है |कभी न कभी 'आवाज़' हलचल अवश्य पैदा करेगी |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteसादर