07 June, 2013

सदा प्यार से श्रेष्ठ, मित्रता मेरे लेखे

 देखे हर सम्बन्ध से, श्रेष्ठ मित्रता प्यार ।
स्वार्थ सिद्ध सुख-योग की, करे प्यार मनुहार ।

करे प्यार मनुहार, स्वयं की ख़ुशी मूल है ।
 जाता देना भूल, करे पर कुल क़ुबूल है ।

सदा प्यार से श्रेष्ठ, मित्रता मेरे लेखे ।
श्रेष्ठ मित्रता भाव, परस्पर सुख दुःख देखे ।

6 comments:

  1. आपकी यह पोस्ट आज के (०८ जून, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - हबीब तनवीर साहब - श्रद्धा-सुमन पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई

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  2. सदा प्यार से श्रेष्ठ, मित्रता मेरे लेखे ।
    Jay Ho ! Shubh Ho !

    Pranam evam Abhar Adaraniy !

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  3. sahee kaha. sacchi mitrata pyar se shreshth hai.

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  4. बहुत ही बेहतरीन और सार्थक प्रस्तुति,आभार।

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  5. बहुत सुन्‍दर रचना आभार
    मेरी नई पोस्‍ट पढिये और अपने विचारों से मुझे भी अवगत करार्इ्रये
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  6. बहुत सुन्‍दर रचना...badhaai

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