आधा बेंचा खेत तो, पूरा किया दहेज़* |
आधा बाँटे बहन फिर, स्वर्ग पिता* को भेज |
स्वर्ग पिता को भेज, लिया पति* से छुटकारा |
बाँटी आधा माल, करे फिर ब्याह दुबारा |
रविकर नौ मन तेल, नहीं नाचे फिर राधा |
हुवे पुरुष कुल फेल, सफल होता इक-आधा ||
*नए कानूनों के परिप्रेक्ष्य में -
सही कहा है !!
ReplyDelete:):) सही है ।
ReplyDeleteवाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteविचारणीय छंद....बेहतरीन ....
ReplyDeleteहाँ कही कही इन कानूनों का दुरूपयोग हो रहा है जो विचारणीय है अच्छे सामयिक विषय पर लिखा आदरणीय बधाई
ReplyDeleteसुंदर !
ReplyDeleteवैसे स्वर्ग जाना अच्छा नहीं है क्या?
sudar......arthaparak.....wah
ReplyDeleteक्या बात है दोस्त इसे कहते हैं तदानुभूत लेखन .भोगा किसी ने लिखा आपने पीड़ा के सहभोक्ता आप भी रहे .
ReplyDelete.बेहतरीन
ReplyDeleteसही कहा
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