अफरा-तफरी मच गई, खा के मिड-डे मील |
अफसर तफरी कर रहे, बीस छात्र लें लील |
अफसर तफरी कर रहे, बीस छात्र लें लील |
बीस छात्र लें लील, ढील सत्ता की दीखे |
मुवावजा ऐलान, यही इक ढर्रा सीखे |
आने लगे बयान, पार्टियां बिफरी बिफरी |
किन्तु जा रही जान, मची है अफरा तफरी ||
बहुत दुखद, इन नेताओं को तो राजनीति करने से हे फुर्सत नहीं और सुशासन का दावा करते है !
ReplyDeleteबहुत खूब !
ReplyDeleteकोई मर रहा है सीधे सीधे
किसी के लिये है इंतजाम
मरने का यहाँ धीरे धीरे !
कितना दर्द है हमारे हर तरफ रविकर भाई ..?
ReplyDeleteदूकानदार, खाद्यान्न खरीदनेवाले,भोजन बनानेवाले सब संवेदनाहीन हो गए हैं.दूसरे पर क्या बीतेगी इस ओर से उदासीन -आखिर कहाँ जा कर थमेगा यह सब!
ReplyDeleteअफरा-तफरी मच गई, खा के मिड-डे मील |
ReplyDeleteअफसर तफरी कर रहे, बीस छात्र लें लील |
बेहद सटीक रचना और कुछ बच्चों को पटना इलाज़ के लिए भेजना पढ़ा
पता नहीं सरकार और अधिकारी कब समझेगें आम इंसान के दर्द को
जान की कीमत बस चंद सिक्के रह गई है ... फैंक दो काम हो गया ...
ReplyDeleteदेश की असल तस्वीर
ReplyDeleteबहुत बढिया