(1)
धारा चौवालिस धरा, अवध पधारा भक्त |
सरयू धारा धरा सह, आज हुई ना रक्त | आज हुई ना रक्त, दुबारा सख्त मुलायम | परिक्रमा पर रोक, व्यवस्था रहती कायम |
चल चौरासी कोस, महज नर-नारी नारा |
हँसे हिन्दुकुश हटकि, चुकाए हिन्दु उधारा ||
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(2)
ढाई फिर से जुल्म है, यह जालिम सरकार ।
प्रतिबंधित कर परिक्रमा, छीन मूल अधिकार । छीन मूल अधिकार, कोस चौरासी घेरा । रहे परस्पर कोस, सीट अस्सी का फेरा ।
परिषद् करे प्रचार, दोष इसमें क्या भाई ।
वोट बैंक पर नजर, सभी ने अगर गढ़ाई ।
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सटीक और सुंदर !
ReplyDeleteचौरासी कोस वोट बैंक का नया आधार।
ReplyDeleteसटीक कटाक्ष.
ReplyDeleteरामराम.
लंका में सब बावन गज़ के ...
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