31 August, 2013

नहीं कहीं भी लगता नारा । पी एम चुप्पा चोर हमारा ॥

नहीं कहीं भी लगता नारा । 
पी एम चुप्पा चोर हमारा ॥ 

चोर चुहाड़ कमीना बोले  । 
राज राज का बाहर खोले॥  

सत्ता सांसद यहाँ खरीदें  । 
रखे तभी जिन्दा उम्मीदें ॥ 

नौ दिन चले अढ़ाई माइल । 
होय काँख से गायब फ़ाइल ॥  

जहाँ निकम्मे हैं अधिकारी । 
प्रवचनकर्ता तक व्यभिचारी ॥ 

जन गन मन मुद्रा में मस्ती । 
होती जाती मुद्रा सस्ती ।। 





1 comment:

  1. गुजंलक हुई सभी देशव्‍यापी समस्‍याओं पर कितना पैना व्‍यंग्‍य वार किया है, विचारणीय।

    ReplyDelete