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रोके से ना रोकड़ा, ले रुकने का नाम ।
रोके से ना रोकड़ा, ले रुकने का नाम ।
रुपिया रूप कुरूप हो, मचा रहा कुहराम ।
मचा रहा कुहराम, हुआ अब राम भरोसे ।
मँहगाई की मार, गरीबी जीवन कोसे ।
कह गरीब के साथ, हाथ नित बम्बू ठोके ।
डालर हँसता जाय, रहे पर रुपिया रो के ॥
रुपया बकरे और उसकी अम्मा को लेके डूबेगा आखिर अम्मा बकरे की कब तक खैर मनायेगी .मिमियाता रहा है एक बकरा सारा देश में बीच बीच में मेंह मेंह भी बोलता है बे -मतलब .
ReplyDeleteसही है,
ReplyDeleteबढिया प्रस्तुति
पता नहीं अब किस की उम्र तक जा के रुकेगा ये रुपया ...
ReplyDeleteमस्त, चुटीला छंद ...