मुर्गे बड़े सुकून में, जब से मँहगा प्याज |
झटके और हलाल से, मनुज मिटाते खाज |
मनुज मिटाते खाज, मुजफ्फर नगर बना के |
बिन हर्रे फिटकरी, प्याज बिन पर्व मना के |
पाते बेहतर स्वाद, लड़ाके रविकर गुर्गे |
नेताओं को दाद, बांग दे देते मुर्गे ||
बहुत अच्छे।
ReplyDeleteकु कुड़ू कूं !
ReplyDeleteबहुत खूब !