22 September, 2013

दुर्मिल सवैया

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक - 30


कौन किसे है थामता, नहीं प्रश्न यह मूल । 
जन्म स्वयं का हो रहा, पुनर्जन्म मत भूल ।। 

दुर्मिल सवैया
(दुर्मिल सवैया में 24 वर्ण होते हैं, जो आठ सगणों (।।ऽ) से बनते हैं और 12, 12 वर्णों पर यति होती है)


*दसठौन हुआ शिशु सम्मुख आय दशोबल पाय बुलावत है । 

इक गोल मटोल मुलायम है इक झुर्रित देह दिखावत है ।

तब अंजर-पंजर चेतन हो खुद से खुद को उठवावत है ।  
  
मकु दर्पण आज दिखाय रहा कल का हर हाल बतावत है ॥

दसठौन = प्रसव के दस दिन के बाद प्रसूता को सौरी घर से दूसरे घर में जाने की क्रिया 
दशोबल = दान शील क्षमा वीर्य ज्ञान प्रजा उपाय बल प्रणिधि और ध्यान 

2 comments:

  1. तब अंजर-पंजर चेतन हो खुद से खुद को उठवावत है ।

    मकु दर्पण आज दिखाय रहा कल का हर हाल बतावत है ॥

    वाह, बहुत सुंदर सवैया, यथार्थ भी।

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