रविकर रह चैतन्य, अन्यथा उघड़े बखिया ||आनंद दायक !
अनमोल दोहेबहुत ही सुन्दर लाज़वाबसादर
क्या बात! वाह!
बखिया उघड़ ही रही है।
कविताओं के तो शिरोमणि हैं आप..बेहतरीन प्रस्तुति।।।
सुन्दर लिखी लिखाड़ लिंक पे सारी पतियाँ ....
रविकर रह चैतन्य, अन्यथा उघड़े बखिया ||
ReplyDeleteआनंद दायक !
अनमोल दोहे
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर लाज़वाब
सादर
क्या बात! वाह!
ReplyDeleteबखिया उघड़ ही रही है।
ReplyDeleteकविताओं के तो शिरोमणि हैं आप..बेहतरीन प्रस्तुति।।।
ReplyDeleteसुन्दर लिखी लिखाड़ लिंक पे सारी पतियाँ ....
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