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प्रणव नाद से मुखर जी, रोके अनुचित चाह |
प्रणव नाद से मुखर जी, रोके अनुचित चाह |
वाह वाह युवराज की, देता कुटिल सलाह |
देता कुटिल सलाह, मानती किचन कैबिनट |
हो जाते सब चित्त, करा दे बबलू नटखट |
झेल रही सरकार, रोज ही विकट हादसे |
रविकर करता ध्यान, हमेशा प्रणव नाद से ||
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दागी अध्यादेश पर, तीन दिनों में खाज |
श्रेष्ठ मुखर-जी-वन सदा, धत मौनी युवराज |
धत मौनी युवराज, बड़े गुस्से में लालू |
मारक मिर्ची तेज, चाट ले किन्तु कचालू |
सुबह मचाये शोर, नहीं महतारी जागी |
शीघ्र बुला के प्रेस, गोलियां भर भर दागी ||
सुबह मचाये शोर, नहीं महतारी जागी |
ReplyDeleteशीघ्र बुला के प्रेस, गोलियां भर भर दागी ||
बहुत खूब !
बिन बरखा बरसात के बनमा नाचे मोर ,
ReplyDeleteचारा खाके पेट भर खूब मचाएं शोर .
महतारी तो सोई ही हुई है और सबको सुला भी रही है।
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