सीमांकन दूजा करे, मर्यादा सिखलाय |
पहला परवश होय तब, हृदय देह अकुलाय |
हृदय देह अकुलाय, लगें रिश्ते बेमानी |
रविकर पानीदार, उतर जाता पर पानी |
नया बने सम्बन्ध, पकाओ धीमा धीमा |
करिए स्वत: प्रबन्ध, अन्य क्यूँ पारे सीमा ??
(१२-२३ अवकाश पर हूँ-सादर )
बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteविजयादशमी की अनंत शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत सुंदर
उत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई
बहुत ही सुंदर..नवरात्रि की शुभकामनाएँ ..
ReplyDeleteप्रश्न अच्छा उठाया है.
ReplyDeleteकरिये स्वतः प्रबन्ध यह सलाह बढिया है और संवधो को धीमे धीमे पकाने की बात भी।
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