पाव पाव दीपावली, शुभकामना अनेक |
वली-वलीमुख अवध में, सबके प्रभु तो एक |
सब के प्रभु तो एक, उन्हीं का चलता सिक्का |
कई पावली किन्तु, स्वयं को कहते इक्का |
जाओ उनसे चेत, बनो मत मूर्ख गावदी |
रविकर दिया सँदेश, मिठाई पाव पाव दी ||
वली-वलीमुख अवध में, सबके प्रभु तो एक |
सब के प्रभु तो एक, उन्हीं का चलता सिक्का |
कई पावली किन्तु, स्वयं को कहते इक्का |
जाओ उनसे चेत, बनो मत मूर्ख गावदी |
रविकर दिया सँदेश, मिठाई पाव पाव दी ||
वली-वलीमुख = राम जी / हनुमान जी
पावली=चवन्नी
गावदी = मूर्ख / अबोध
सर आपको भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDeleteनया प्रकाशन --: दीप दिल से जलाओ तो कोईबात बन
एक गावदी की ओर से :)
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ !
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ !
ReplyDeleteअवध उस स्थान कहते हैं जहां किसी का वध न हो .लेकिन ये अवध नरेश के समय की बात है अब तो वहाँ सेकुलर प्रेत रहते हैं सरकार में .सुन्दर प्रस्तुति .मान्यवर अपनी मेल चेक करें .
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDelete