21 November, 2013

तरुण तेज ले पाल, सेक्स से मचे तहलका-

यौनोत्पीड़न के लिए, कुर्सी छोड़े आप |

कुर्सी छोड़े आप, मात्र छह महिना काहे |
सहकर्मी चुपचाप, बॉस जो उसका चाहे |

लेता आज संभाल, देख लेता कल कल का |
तरुण तेज ले पाल, सेक्स से मचे तहलका ||

(2)
बंगारू कि आत्मा, होती आज प्रसन्न |
सन्न तहलका दीखता, झटका करे विपन्न |

झटका करे विपन्न, सताया है कितनों को |
लगी उन्हीं कि हाय, हाय अब माथा ठोको |

गोया गोवा तेज, चढ़ी थी जालिम दारू |

रंग दे डर्टी पेज, देखते हैं बंगारू ||

2 comments:

  1. बंगारू कि आत्मा, होती आज प्रसन्न |
    सन्न तहलका दीखता, झटका करे विपन्न |

    झटका करे विपन्न, सताया है कितनों को |
    लगी उन्हीं कि हाय, हाय अब माथा ठोको |

    गोया गोवा तेज, चढ़ी थी जालिम दारू |

    रंग दे डर्टी पेज, देखते हैं बंगारू ||

    बहुत सुन्दर सटीक .

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