(1)
कारें चलती देश में, भर डीजल-ईमान |
अट्ठाइस गण साथ पर, नहिं व्यवहारिक ज्ञान |
नहिं व्यवहारिक ज्ञान, मन्त्र ना तंत्र तार्किक |
*स्नेहक पुर्जे बीच, नहीं ^शीतांबु हार्दिक |
*लुब्रिकेंट ^ कूलेंट
गया पाय लाइसेंस, एक पंजे के मारे |
तो स्टीयरिंग थाम, चला दिखला सर-कारें ||
(2)
नकारात्मक गुण छिपा, ले ईमान की आड़ ।
व्यवहारिकता की कमी, दुविधा रही बिगाड़ ।
दुविधा रही बिगाड़, तर्क-अभिव्यक्ति जरुरी ।
अभी अपेक्षा आप, करो दिल्ली की पूरी ।
पानी बिजली सहित, प्रशासन स्वच्छ सकारा ।
वायदे करिये पूर, अन्यथा कहूं नकारा ॥
(3)
खरी खरी रख तथ्य कुल, करें व्याख्या आप |
दिल्ली में जब आपका, पसरा प्रबल प्रताप |
पसरा प्रबल प्रताप. परख बड़बोले बोले |
किन्तु केजरीवाल, विधायक क्षमता तोले |
पचा सके ना जीत, जीत से मची खरभरी |
लफुआ अनुभवहीन, चेंगडे करें मसखरी ||
waah ji!
ReplyDeleteखरी खरी..
ReplyDeleteतीखा कटाक्ष .....
ReplyDeleteताजा भंवर है, इसमें सभी की टांगें घुसी हुईं हैं।
ReplyDeleteभारतीय राष्ट्रीय चरित्र कैसे बदले :) ?
ReplyDeleteबहुत खूब !
ReplyDeleteनई पोस्ट विरोध
new post हाइगा -जानवर
करारा और तीक्ष्ण व्यंग , बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeletesabhi dohe behatareen lagi samyikta ke sath sasakt prastuti bahut bahut aabhar ravi ji .
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