केंचुल कामी का चुवा, धरे केंचुवा यौनि | द्विलिंगी गुट *गेगले, गन्दी करते औनि | गन्दी करते औनि, बनाये तन मन रोगी | पशुचर्या पशु-काम, हुवे हैं पशुवत भोगी | सरेआम व्यवहार, गेंगटे रविकर गेंदुल | रख उरोज, पर, दन्त, गेगले छोड़ें केंचुल || गेगले=*मूर्ख गेंदुल=चमगादड़ गेंगटे=केकड़े |
कुक्कुर के पीछे लगा, कुक्कुर कहाँ दिखाय |
कुतिया भी देखी नहीं, कुतिया के मन भाय |
कुतिया के मन भाय, नहीं पाठा को देखा |
पढ़ते उलटा पाठ, बदल कुदरत का लेखा |
पशु से ही कुछ सीख, पाय के विद्या वक्कुर |
गुप्त कर्म रख गुप्त, अन्यथा सीखें कुक्कुर ||
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देश को धुँधले आशा-दीप के लिये वधाई !
ReplyDeleteकेंचुल कामी का चुवा, धरे केंचुवा यौनि | क्या ही सभ्न्ग्पद यमक ! अदभुत !!
बहुत अच्छे !
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