पड़ा साबका सड़क से, सबक सीखते आम |
इंतजाम पहले करो, फिर भेजो पैगाम |
फिर भेजो पैगाम, नाम ना आप डुबाओ |
कोशिश में ईमान, बाज हड़बड़ से आओ |
यह मीडिया इवेन्ट, लगाए झटका तगड़ा |
बढ़ा और नैराश्य, फाड़ते रविकर कपड़ा ||
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आड़े अनुभवहीनता, पब्लिक थानेदार ।
भीड़ अड़ी भगदड़ बड़ी, भाड़े जन-दरबार ।
भाड़े जन-दरबार, नहीं व्यवहारिक कोशिश ।
चूके फिर इस बार, कौन कर बैठा साजिश ।
दूर हटे अरविन्द, आज छवि आप बिगाड़े ।
धीरे धीरे सीख, समय आयेगा आड़े ।
नीति नियम नीयत सही, सही कर्म ईमान |
सही जाय ना व्यवस्था, सी एम् जी हलकान |
सी एम् जी हलकान, बिना अनुभव के गड़बड़ |
बार बार व्यवधान, अगर मच जाती भगदड़ |
आशंकित सरकार, चलो खामी तो मानी|
चेतो अगली बार, नहीं दुहरा नादानी ||
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वाह ... गज़ब कटाक्ष अदा ...
ReplyDeleteदेखिए, देखते रहिए।
ReplyDeleteWah samayik aur sateek.
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