16 January, 2014

आये सज्जन वृन्द, किन्तु लुट जाती मुनिया-

भन्नाता बिन्नी दिखा, सुस्ताता अरविन्द |
उकसाता योगेन्द जब, उकताता यह हिन्द |

उकताता यह हिन्द, मुफ्तखोरों की दुनिया |
आये सज्जन वृन्द, किन्तु लुट जाती मुनिया |

दीन-हीन सरकार, विपक्षी है चौकन्ना |
टपकाए नित लार, जाय रविकर जी भन्ना ||

लासा मंजर में लगा, आह आम अरमान |
मौसम दे देता दगा, है बसन्त हैरान |

है बसन्त हैरान, कोयलें रोज लुटी हैं |
गिरगिटान मुस्कान, लोमड़ी बड़ी घुटी है |

गीदड़ की बारात, दिखाता सिंह तमाशा |

बन्दर की औकात, बताता नया खुलासा ||

2 comments:

  1. है बसन्त हैरान, कोयलें रोज लुटी हैं |
    गिरगिटान मुस्कान, लोमड़ी बड़ी घुटी है |
    सत्य वचन।

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