17 January, 2014

सदियों से चम्पी करे, पंजे नोचें बाल-


सदियों से चम्पी करे, पंजे नोचें बाल |
कंघी बेंचे वह धड़ा, गंजे करें सवाल |

गंजे करें सवाल, नया हेयर कट पाया |
हर दिन अति उम्मीद, दीप नित नया जलाया |

यह गंजों का देश, राज सत्ता को कोसे |
दीन हीन के क्लेश, रहे यूँ ही सदियों से ||

3 comments:

  1. दीन-हीन के क्‍लेश यथावत हैं। क्‍या खूब! वाह!

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  2. सुन्दर, रोचक व पठनीय सूत्र

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  3. काफी उम्दा प्रस्तुति.....
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (19-01-2014) को "तलाश एक कोने की...रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1497" पर भी रहेगी...!!!
    - मिश्रा राहुल

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