02 March, 2014

जाय लटक सरकार, चुनावी शंख-नाद हो |-

माते मत वाले मगर, नेता नातेदार |
मारे मिलकर मछलियाँ, जाय लटक सरकार |

जाय लटक सरकार, चुनावी शंख-नाद हो |
बाँध जमुन-जलधार, कालिया से विवाद हो |

लौट द्वारिका जाय, जरासँध जरा सताते |
'आप' इधर बलखाय, जोर रविकर अजमाते ||

5 comments:

  1. वाह वाह ... क्या मस्त तप्सरा राजनीति पे ...

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  2. लटकन फटकन जोर मार रही
    है।

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  3. आजमाईये आजमाईये जोर बहुत जोर से :)

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  4. क्या बात है रविकर जी :

    लौट द्वारिका जाय, जरासँध जरा सताते |
    'आप' इधर बलखाय, जोर रविकर अजमाते ||

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  5. क्या बात है रविकर जी :

    लौट द्वारिका जाय, जरासँध जरा सताते |
    'आप' इधर बलखाय, जोर रविकर अजमाते ||

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