भगत सिंह जी सन्न हैं, जब चुनाव आसन्न ।
मिली-भगत मीडिया की, बगुला-भगत प्रसन्न ।
बगुला भगत प्रसन्न, आप का महिमा मंडन ।
दिखे फोर्ड षड्यंत्र, सोवियत रूस विखंडन ।
खुली ढोल की पोल, हुआ भारत अब अवगत ।
दिखे आप में झोल, भगत बगुला यह अभगत ।
केजरीवाल का इंटरव्यू !!
Bamulahija dot Com
beautifully said
ReplyDeleteबहुत सही ....
ReplyDeleteज़बरजस्त व्यंग्य
ReplyDeleteकरारा
ReplyDeleteवाह...बहुत उम्दा और सामयिक पोस्ट...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@चुनाव का मौसम
सुन्दर है सरजी !
ReplyDeletelajawab
ReplyDelete